EVM-VVPAT: सुप्रीम कोर्ट इलेक्शन और इलेक्शन कमीशन को नियंत्रित नहीं कर सकता, EVM पर सुनवाई के दौरान अहम बिंदु बताए

EVM-VVPAT: ईवीएम वोटिंग मशीन में दर्ज हुए सौ प्रतिशत वोट को वीवीपैड स्लिप से मिलाने की डिमांड पर सुनवाई करने के दौरान उच्चतम न्यायालय का कहना है कि वे इलेशन पर कंट्रोल नही कर सकते है। देश के शीर्ष कोर्ट का कहना था कि इलेक्शन कमीशन एक संवैधानिक संस्था है और…

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Reported by Atul Kumar

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EVM-VVPAT: ईवीएम वोटिंग मशीन में दर्ज हुए सौ प्रतिशत वोट को वीवीपैड स्लिप से मिलाने की डिमांड पर सुनवाई करने के दौरान उच्चतम न्यायालय का कहना है कि वे इलेशन पर कंट्रोल नही कर सकते है। देश के शीर्ष कोर्ट का कहना था कि इलेक्शन कमीशन एक संवैधानिक संस्था है और हम (कोर्ट) इसको कंट्रील नही कर सकते है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस मामले पर सुनाई की। पीठ की तरफ से ये टिप्पणी EVM में डाले गए 100% वोट को वीवीपैड से मिलने की डिमांड की याचिकाओं को लेकर इलेक्शन कमीशन से किन्ही तथ्यात्मक स्पष्टीकरण मांगने के उपरांत फिर से निर्णय सुरक्षित करके ये टिप्पणी दी है।

प्रशांत भूषण ने चिप पर संदेह जाहिर किया

न्यायमूर्ति दत्ता की तरफ से ये टिप्पणी याची की तरफ से वकील प्रशांत भूषण के तर्कों को सुनवाई के उपरांत आई है। वकील प्रशांत का कहना था कि भारत के इलेक्शन कमीशन की तरफ से यह कहना कि EVM में प्रोसेसर चिप केवल एक प्रोग्रामेबल है जोकि संदेह पैदा करने वाली बात है। इसके बाद उनकी बातो पर न्यायमूर्ति खन्ना कहते है कि इलेक्शन कमीशन के अफसर इस तरह के संदेह को मिटा चुके है और इस मामले में कुछ भी बाकी नहीं रहता है।

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कोर्ट की टिप्पणी पर वकील प्रशांत का कहना है कि EVM निर्माता कंपनी ने भी RTI से पूछे गए सवाल के उत्तर में चिप के फिर से इस्तेमाल की बात कही है। वे आगे कहते है कि हम उस कंपनी की वेबसाइट से माइक्रोकंट्रोलर की खासियतों को भी डाउनलोड कर चुके है। उनकी दलील पर दत्ता कहते है कि इस समय तक तो इस तरह की किसी घटना की रिपोर्टिग नही हुई है और हम इलेक्शन को कंट्रोल नही कर सकते है। वे प्रशांत से कर रहे थे कि इलेक्शन कमीशन एक संवैधानिक प्राधिकरण है एवं दूसरे संवैधानिक संस्था को कंट्रोल नही कर सकते है।

चिप में सिर्फ चुनावो चिन्ह अपलोड होते है

न्यायमूर्ति खन्ना का कहना है कि इलेक्शन कमीशन के अफसर स्पष्ट कर चुके है कि वो किसी भी प्रोग्राम को लोड नही कर रहे है और वो केवल चुनावो के निशान अपलोड करते है जोकि एक इमेज फाइल है। वकील का कहना है यदि किसी दुर्भावना से ग्रस्त प्रोग्राम को इमेज के संग अपलोड कर दे तो? वे आगे कहते है कि कमीशन की ये बात कि फ्लैश मेमोरी दुबारा प्रोग्राम करने लायक नही है, एकदम ही त्रुटिपूर्ण है। उनकी दलील पर न्यायमूर्ति खन्ना कहते है कि हम इस पर ध्यान अखेंगे और हम दलील को समझ चुके है।

माइक्रोचिप को पार्टी-उम्मीदवार का नही पता

उनका कहना था इलेक्शन कमीशन कहते है कि फ्लैश मेमोरी में केवल चुनावो के निशान है और किसी प्रकार के प्रोग्राम्स नही है। वे सॉफ्टवेयर न होकर अपितु निशानों के फाइल्स है। और बात करें कंट्रोल यूनिट (CU) की माइक्रोचिप की तो ये अज्ञेयवाली है जोकि दल के नाम अथवा प्रत्याक्षी के नामो को नही पहचानती है। ये वोटपर्ची यूनिट के बटन को जानती है। EVM निर्माता कंपनी को इस बात की जानकारी नहीं है कि इस बटन के लिए कौन सी पार्टी चुनी जाने वाली है।

फिर वकील प्रशांत का कहना है कि वो (इलेक्शन कमीशन) मान रही है कि सिग्नल वैलेट इकाई से वीवीपैड की तरफ से कंट्रोल यूनिट तक जाती है। अगर वीवीपैड फ्लैश मेमोरी में कोई गलत प्रोग्राम हो तो इसके उत्तर में न्यायमूर्ति का कहना था कि इस कारण हम उनसे पूछ चुके है और वे कहते है कि इस चिप में केवल एक ही प्रोग्राम कर सकते है।

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4 पॉइंट्स में स्पष्टीकरण दिया

  • माइक्रोकंट्रोलर को कंट्रोल यूनिट में इंस्टाल किया है अथवा वीवीपैड में? इस प्रकार के संकेत मिलते है कि हमे यह धारणा थी कि माइक्रोकंट्रोलर EVM की कंट्रोल यूनिट में इंस्टाल हमको कहा गया है कि वीविपैड में फ्लैश मेमोरी रहती है।
  • क्या केवल कंट्रोल यूनिट को ही सील कर सकते है अथवा वीवीपैड को अलग रखते है तो इसको लेकर हमको कुछ स्पष्टीकरण चाहिए।
  • चुनाव के निशान लोडिंग इकाई के संदर्भ लेते है कि इनके से कितनी उपलब्ध है?
  • इलेक्शन की याचिका की लिमिट 30 दिनों की है तो EVM में डाटा को 45 दिन तक स्टोर करते है। किंतु जन प्रतिनिधि के कानून के अनुसार इसको सेफ रखने की लिमिट 45 दिनों की है। इस मामले में टाइमपीरियड को तदनुसार आगे बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी।

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