चुनावी घोषणा पत्र क्या होता है, चुनाव से पहले Manifesto क्यों जारी करती हैं राजनीतिक पार्टियां

घोषणा पत्र को Manifesto कहा जाता है जो कि एक इटालियन शब्द है। यह शब्द लैटिन भाषा के anifestum वर्ड से आया है। हिस्ट्री में मेनिफेस्टो शब्द को साल 1620 में सबसे पहले अंग्रेजी में इस्तेमाल किया गया था।

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Reported by Atul Kumar

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Electoral Manifesto: हमारे देश में बहुत सी राजनीतिक पार्टियों के द्वारा समय-समय पर अपनी नीतियों, योजनाओं एवं लक्ष्यों के बारे में जो पत्रिका घोषित होती है, वही चुनावी घोषणा-पत्र कहलाता है। इलेक्शन के आने से कुछ दिनों पूर्व में ही हर एक राजनैतिक पार्टी अपने इस घोषणा पत्र को लोगों के सामने लाती है। इस पत्रिका का जरिए ही ये पार्टियां आम लोगों तक अपनी बात लेकर जाते है कि उनकी अंदरूनी एवं अन्य देशों को लेकर क्या सोच रहने वाली है। यह भी बताते है कि सत्ता में आने पर वो किन-किन कामों को करने वाले है।

देश में चुनावी घोषणापत्र

आजादी के बाद साल 1952 से ही हमारे देश में चुनाव होते आ रहे हैं। लेकिन सभी राजनीतिक दल घोषणापत्रों के माध्यम से अपनी विचारधाराओं, नीतियों और कार्यक्रमों को प्रकाशित करने के आदी नहीं थे। प्रमुख राजनीतिक दल अपनी विचारधाराओं, नीतियों और कार्यक्रमों को घोषणापत्रों के माध्यम से ही सार्वजनिक नहीं करते थे। किंतु अब घोषणा पत्र का महत्व काफी बढ़ चुका है।

इलेक्शन मेनिफेस्टो का इतिहास

अंग्रेजी में चुनावी घोषणा पत्र को Manifesto कहा जाता है जो कि एक इटालियन शब्द है। यह शब्द लैटिन भाषा के anifestum वर्ड से आया है। हिस्ट्री में मेनिफेस्टो शब्द को साल 1620 में सबसे पहले अंग्रेजी में इस्तेमाल किया गया था। यह शुरू से ही आम लोगो तक अपने वादे, इरादो एवं नीतियों को जाहिर करने का प्रपत्र रहा है। पॉलिटिकल पार्टी चुनाव लडने से पहले इस मेनिफेस्टो को सार्वजनिक करती है। न तो दल इसको अपने पसंद के नाम से भी सामने ला रहे है जैसे विजन डॉक्यूमेंट्री एवं संकल्प इत्यादि।

जनता से वादों का लिखित माध्यम

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स्वतंत्रता मिलने के पश्चात वर्ष 1952 से ही भारत में इलेक्शन होने की परंपरा चली आ रही है। किंतु हर एक पार्टी अपने घोषणा पत्र से अपने विचार रखने को लोगों के समक्ष नहीं लाते रहे है। लेकिन बीते कुछ सालों से विभिन्न राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पार्टी हर एक इलेक्शन से पहले अपना घोषणा पत्र जरूर ला रही है। इनमें वे अपनी सभी जरूरी बाते सार्वजनिक कर रही है।

घोषणा पत्रों को देखे तो इनमें कुछ खास वर्गों (विधवा, वृद्ध, किसान एवं बच्चे) के लिए खास योजना, नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा एवं मेडिकल सुरक्षा आदि की बाते मिलती है। अब कुछ दिनों में तो यह भी देखने को मिल रहा है कि कुछ दल लोगों को उन चीजों को देने का वायदा कर रही है जिनको सामान्य बातचीत में लोग ‘फ्री गिफ्ट’ कहते है।

चुनाव घोषणा-पत्र के लाभ जाने

इस प्रपत्र के द्वारा आम नागरिकों को उस पार्टी की देशीय एवं विदेशी नीतियों पर अधिक डिटेल्स मिल पाती है। अलग-अलग पार्टियों के घोषणा पत्रों को देख लेने के बाद वोटर्स को अपने वोट को लेकर फैसला करना सरल हो जाता है। इलेक्शन में जीतने वाली पार्टी के लिए यह प्रपत्र उनके मार्गदर्शक का भी काम देता है चूंकि उनको अपने कार्यों को इसी के अनुरूप अंजाम देना होता है।

आम नागरिक भी सत्ता लेने वाली पार्टी पर उनके चुनावी घोषणा पत्र के हिसाब से कार्य करने का दबाव डालती है। अगर सरकार अपने घोषणा पत्र के वादे करने की दिशा में कार्यरत नहीं दिख रही तो घोषणा पत्र से ही आम लोग सरकार की आलोचना करेंगे।

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घोषणा-पत्र पर कानून भी

भारत के संविधान की धारा 324 में इलेक्शन कमीशन के पास लोकसभा एवं विधानसभा के इलेक्शन को संचालित करने का हक दिया है। कमीशन भी दलों के लिए बहुत से नियम बनाता है। घोषणा पत्र को लेकर भी कुछ नियम बन है।

इस घोषणा पत्र में वो बात नहीं हो सकती जो कि संविधान के आदर्शों एवं सिद्धांतों के विपरीत हो अथवा आचार संहिता की गाइडलाइन के अनुसार नहीं हो। इसके अलावा दलों को उन वायदों से दूरी बनानी चाहिए जो कि इलेक्शन प्रोसेस के आदर्श पर को प्रभावित करने के साथ मतदाता पर असर डाले।

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