कोविशील्ड से हार्ट अटैक का खतरा नहीं, वैक्सीन के साइड इफेक्ट पर डॉक्टर्स की राय जाने

Side Effects Of Covishield: कोविशील्ड वैक्सीन को लेने के 4 से 42 दिनों के भीतर थ्रोंबोसीस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) होने के अनुमान है। इसमें बॉडी में खून के धक्के बनना और प्लेट्सलेट्स में कमी आ जाती है। ब्रिटेन की अदालत में कोविडशील्ड वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्टाजेनेका ने केस की…

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Reported by Atul Kumar

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Side Effects Of Covishield: कोविशील्ड वैक्सीन को लेने के 4 से 42 दिनों के भीतर थ्रोंबोसीस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) होने के अनुमान है। इसमें बॉडी में खून के धक्के बनना और प्लेट्सलेट्स में कमी आ जाती है। ब्रिटेन की अदालत में कोविडशील्ड वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्टाजेनेका ने केस की सुनवाई में वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात को माना है।

फिर हमारे देश में इस न्यूज पर काफी चर्चाएं शुरू होने लगी और इस मामले में जानकारों का मानना है कि लोगो को अधिक चिंतित नहीं होना चाहिए और विशेष रूप से हार्ट अटैक की अपवाह पर तो ध्यान नहीं देना चाहिए।

वैक्सीन से हार्ट अटैक के चांस नहीं

चिकित्सकों के मुताबिक, कंपनी भी यह मान चुकी है कि TDS दिमाग, फेफड़े, आंत की खून वाली नली एवं पैर में मिलता है। जो भी लोग कंप्लेंट कर चुके है उनमें कोई भी हार्ट अटैक वाला नही मिला है। इसी कारण से वैक्सीन से हार्ट अटैक होने की बात एकदम से व्यथ ही है। हालांकि यह सच है कि कोविड से संक्रमित होने पर खून का जमना देखा गया है जोकि दिल पर भी प्रभाव डालता है। भारत की ICMR भी अपने शोध में यह बात नकार चुकी है कि वैक्सीन के कारण कार्डियक अरेस्ट का खतरा है।

TDS क्या होता है?

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कोविड जानकारों के मुताबिक कोई भी रिपोर्ट यह नहीं कहती है कि वैक्सीन के कारण दिल के दौरे आ रहे है। यह बताती है कि वैक्सीन की पहली खुराक के 4 से 42 दिनों के भीतर TDS हो सकती है। इस पहली खुराक को देने पर बॉडी के T सेल एवं B सेल सक्रिय होते है। प्रतिरोधी प्रतिक्रिया बढ़ती है और ब्लड की नली सूजती है और इसी कारण से खून के धक्के बनते है। खून के धक्के बनने पर बॉडी की अधिक प्लेट्सलेट्स लगती है। इसी वजह से प्लेट्सलेट्स में कमी आने लगती है और ब्लीडिंग के खतरे पैदा हो जाते है जोकि TDS कहते है।

हार्ट अटैक आने के कारण

डॉक्टर्स के मुताबिक कोराेना काल में ही दिल में धक्के बन रही थे और मसल्स के सूजन के कारण दिल की धड़कनों पर असर पड़ रहा था। काफी सारी परेशानी होने के साथ ही लॉकडाउन लगने से नागरिकों की जीवनशैली भी खराब रही जैसे हलचल रुकी, असुरक्षा थी, मानसिक तनाव में वृद्धि आदि। वजन एवं मधुमेह का लेवल भी बढ़ने लगता था और लोगो का भोजन भी हैवी होने लगा, साथ ही बढ़ता वजन भी एक घातक दिक्कत बन रहा है। हमारे यहां 33% मधुमेह के रोगी है, प्रदूषण भी है।

सिर्फ वैक्सीन को गलत कहना ठीक नहीं

एक प्रतिष्ठित हॉस्पिटल की डॉक्टर का कहना है कि इस जानकारी के बाहर आने से स्पष्ट हुआ है कि वैक्सीन से एक विशिष्ठ दुष्प्रभाव हुआ था। 4 से 42 दिन के भीतर वैक्सीन के बाद TDS हुआ था। ये दिक्कत वैक्सीन ले चुके एवं कोरोना से संक्रमित लोगो में दिखी है किंतु वैक्सीन के रोगी इसमें काफी कम ही थे। इस करना से वैक्सीन को ही दोष दे देना ठीक नही है। चूंकि वैक्सीन काफी अधिक लोगो को लगाई है और खतरा प्रति 1 लाख में से 2 को है। चिकित्सक का कहना था कि उन्होंने उन 5 लोगो को उपचार दिया है जिनमे 4 काफी कम आयु के थे।

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दवाई के इफेक्ट और साइडइफेक्ट होंगे

एक डॉक्टर का कहना है कि किसी भी दवाई अथवा वैक्सीन के प्रभाव होने पर इसके दुष्प्रभाव भी होते है। मल्टी विटामिन की दवाई के दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते है। वैक्सीन के प्रभाव तो 1 लाख व्यक्तियों में 2 लोगो पर हुआ है जोकि .0002% ही है। वैसे जी संख्या में लोग महामारी के डेल्टा चरण में मरे थे इससे काफी अधिक को वैक्सीन ने बचाने का काम किया है। वही कुछ डॉक्टर्स कंपनी की तरफ से साइड इफेक्ट को पहले बताने की बात कर रहे थे जिससे लोग अपना चुनाव कर सके।

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