फीलीपीन्स को भारत की तरफ से दी गई ब्रह्मोस मिसाइल पर चीनी सेना के प्रवक्ता की प्रतिक्रिया आई

China Response To Brahmos Missiles: भारत की तरफ से फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की पहली खेप जा चुकी है। इस मिसाइल की गिनती विश्वभर की सर्वाधिक तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में होती है। इसी बात पर चीनी आर्मी ने भी भारत के लिए एक बयान जारी कर दिया…

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Reported by Atul Kumar

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China Response To Brahmos Missiles: भारत की तरफ से फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की पहली खेप जा चुकी है। इस मिसाइल की गिनती विश्वभर की सर्वाधिक तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में होती है। इसी बात पर चीनी आर्मी ने भी भारत के लिए एक बयान जारी कर दिया है। उन्होंने कहा है कि दो देशों के सुरक्षा भागीदारी के मामले में अन्य तीसरे देश के हितों एवं स्थानीय स्थिरता की हानि नहीं करनी चाहिए।

अमरीका का भी विरोध कर रहा चीन

चीनी रखा मंत्रालय प्रवक्ता कर्नल वू कियान से भारत के फिलीपींस को यह मिसाइल दिए जाने के सवाल पर उनका कहना था कि चीन को सर्वदा भरोसा रहा है कि दोनो देशों के मध्य रक्षा एवं सुरक्षा की भागीदारी के मामले में अन्य तीसरे पक्ष की हानि न हो। इस प्रकार से अन्य देश की स्थानीय शांति एवं ठहराव में बाधा भी न पहुंचे।

चीनी प्रवक्ता का कहना है कि उनका देश एशिया प्रशांत इलाके अमरीका की तरफ से मिडिया रेंज वाली बैलेस्टिक मिसाइलों को तैनात करने का भी भारी खिलाफत कर रहा है। इस मामले में हमारा दृष्टिकोण काफी साफ एवं तर्कपूर्ण है। अमरीका की इस कार्यवाही से उस क्षेत्र के देशों की सेफी पर काफी खतरा पैदा हुआ है। वू का कहना है कि हमको विश्वास है कि इससे जुड़े देश शैतानों के लिए अपने दरवाजों को खोलने से दूर रहेंगे जोकि दूसरे को हानि देने का लक्ष्य रखते है।

भारत और फीलीपींस के बीच डील

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साल 2022 की जनवरी में भारत एवं फिलीपींस के मध्य 37.5 करोड़ डॉलर्स का समझौता हुआ था। इस करार के अंतर्गत भारत की तरफ से ब्रह्मोस मिसाइलों के अतिरिक्त मिसाइल की 3 बैटरियां, इनके लॉन्चर एवं अन्य उपकरण फीलीपींस को दिए जाने है। इसी डील के अंतर्गत भारत ने 19 अप्रैल के दिन फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल का पहला बेड़ा भेज दिया। साथ ही भारत का ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर निर्यात के मामले में ये पहला बेड़ा था।

यह ध्यान दें कि दक्षिणी चीन महासागर में चीनी सैन्य गतिविधियों के बढ़ते मामलों के कारण भारत ने फिलीपींस को लेकर अपने रक्षा रिश्ता को बढ़ाने का काम किया है। वैसे चीन की तरफ से दक्षिणी चीनी सागर पा दावे करने का प्रयास होता आ रहा है। इस मामले में फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई एवं ताइवान भी इसको लेकर अपने दावे करते रहे है।

ब्रह्मोस मिसाइल के भी काफी वेरिएंट

भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का नाम ब्रह्मपुत्र एवं मोस्कवा आदि नदी के नाम पर दिया है। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) एवं रूस के मशीनोस्ट्रोयेनिया से गठित एक साझा वेंचर कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने तैयार किया है। इस मिसाइल के भी काफी प्रकार है जिसके अंतर्गत जमीन से दागने वाले, युद्धपोत, पनडुब्बी एवं सुखाई-30 फाइटर विमान आदि आते है। लॉच हुए विमान के शुरू के वर्जन ब्रह्मोस एवं लैंड बेस्ड सिस्टम 2005 एवं 2007 से ही इंडिया नेवी और इंडियन आर्मी के लिए कार्य करते है।

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दुश्मन के रडार में नहीं दिखेगी

ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही अपने रास्ते से हटने की क्षमता रखती है और यह चलने के दौरान ही अपने लक्ष्य को मिटा सकती है। ये 10 मीटर की हाइट पर भी उड़ने की क्षमता रखती है मतलब इसको शत्रु रडार से देखा भी नहीं जा सकेगा। इस प्रकार से इस मिसाइल को दुश्मन की तरफ से मिटाकर असफल कर पाना नामुमकिन बात है। ये मिसाइल अमरीकी टोमाहॉक मिसाइल की तुलना में दुगुनी स्पीड से उड़ान भरती है और 1,200 यूनिट की इनर्जी का उत्पादन करती है जोकि किसी भी बड़े लक्ष्य को मिटाने में काफी है।

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