ग्लोबल लीडरशिप के मामले में अमेरिका को अधिकतर देशों ने चीन से बेहतर माना, देखे दोनो को कितने पॉइंट्स मिले

Global Leadership Gallup Report: विश्व के 81 देश चीन को एक लीडर के रूप में स्वीकृति देने को तैयार नहीं है और ये लोग चीन के नेतृत्व को बिलकुल समर्थन नहीं देते है। वही ये देश अमरीका को लीडर मानने में बिल्कुल भी नही हिचकते है। अमेरिका के थिंक टैंक…

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Reported by Atul Kumar

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Global Leadership Gallup Report: विश्व के 81 देश चीन को एक लीडर के रूप में स्वीकृति देने को तैयार नहीं है और ये लोग चीन के नेतृत्व को बिलकुल समर्थन नहीं देते है। वही ये देश अमरीका को लीडर मानने में बिल्कुल भी नही हिचकते है। अमेरिका के थिंक टैंक गैलेप रिपोर्ट से जानकारी मिलती है कि कुल 133 देशों में से 81 देश अमरीका की लीडरशिप के प्रभाव में है और उनके हिसाब से अमेरिका विश्व का लीडर है। इन 81 देशों में से 29 इसी बात को काफी जोरो से मानते है। तो दूसरी तरफ चीनी लीडरशिप के समर्थक 52 देश ही है और इनमे 6 ही अधिक समर्थन देने वाले है।

अमेरिकी लीडरशिप का बड़ा समर्थक कोसोवो

अमरीका के मामले में सर्वाधिक सपोर्ट देने वाला देश कोसोवो है किंतु चीन पर सर्वाधिक समर्थन रूस जताता है। कोसोवो ने +154 पॉइंट्स देकर अमरीका की लीडरशिप को सर्वाधिक सपोर्ट दिया है। वही रूस ने -132 पॉइंट्स को देकर चीनी लीडरशिप को सर्वाधिक सपोर्ट दिया है। पॉइंट्स की लिमिट को +200 अमेरिका के लिए और -200 को चीन के लिए रखा गया था। यहां + में जीतने अंक होंगे वो अमेरिका को समर्थन देंगे और – में जो भी अंक होंगे वो चीन को स्पोर्ट देने वाला होगा।

चीनी लीडरशिप को अफ्रीकी देशों का सपोर्ट

रिजल्ट को देखे तो चीन की लीडरशिप को अफ्रीका के देशों का सपोर्ट बढ़कर मिला है तो वही अमेरिका के नेतृत्व को एशिया के देशों से सपोर्ट मिला है। चीनी लीडरशिप के समर्थक अफ्रीकी देश तंजानिया, यूगांडा, साउथ अफ्रीका एवं मलावी रहे है।

एशियाई देश अमेरिका के समर्थन में

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अमरीकी लीडरशिप के मामले में एशिया के देशों में समर्थन में वृद्धि हुई है। भारत, फिलीपींस, साउथ कोरिया एवं वियतनाम अमरीका की लीडरशिप का समर्थन करते है। इसमें गौर करने वाली बात है कि ये सभी देश चीन के साथ बाउंड्री पर विवाद रखते है और इनके काफी इलाको पर चीनी सरकार के कब्जे के विवाद चल रहे है। एक रिपोर्ट की अनुसार इन सभी देशों के अमेरिकी समर्थन के पीछे इनके इलाको पर चीनी सक्रियता भी है। जैसे फिलीपींस के साथ चीन का दक्षिणी चीनी सागर का विवाद है।

इजराइल का अमेरिकी लीडरशिप को सपोर्ट

अमेरिका की लीडरशिप को सपोर्ट देना प्रश्न उठा सकता है चूंकि फलस्तीन में इजरायली रुख को निरंतर अमेरिका के प्रेसिडेंट का समर्थन मिल रहा है। इसको लेकर उनकी ग्लोबल स्तर पर काफी आलोचनाएं भी हुई है। अमेरिकी समर्थन का इजराइल के भीतर काफी ज्यादा प्रभाव दिखा है। अब इजराइल से भी अमेरिकी लीडरशिप पर समर्थन हुआ है और इजराइल की तरफ से +131 पॉइंट्स दिए गए है।

अमरीका की लीडरशिप समर्थित 29 देश

फ्रांस, भारत, स्विजरलैंड, स्पेन, ताइवान, म्यांमार, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, नीदरलैंड, स्वीडन, बेल्जियम, यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड, डेनमार्क, जापान, एस्टोनिया, नोरवे, साउथ कोरिया, जर्मनी, पुर्तगाल, फिनलैंड, लिथुनिया, अलबेनिया, फिलीपींस, वियतनाम, यूक्रेन, पोलैंड, इजरायल और कोसोवो अमेरिकी लीडरशिप के बड़े समर्थक दिखे हैं।

तो दूसरी तरफ उरुगवे, मंगोलिया, घाना, सोलवेनिया, ग्रीस, मॉरिशियस, जिम्बाबवे, रिपब्लिक ऑफ कोंगो, सिएरा लिओन, पेरेगवे, एक्वाडोर, पनामा, चिले, ग्वाटेमाला, मॉरिटानिया, लग्जमबर्ग और सालवेडोर अमेरिका की लीडरशिप को कम सपोर्ट जताते है।

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चीनी लीडरशिप के 6 बड़े सपोर्टर देश

रूस, पाकिस्तान, सर्बिया, ईरान, माली अजरबेजान चीन की लीडरशिप के सर्वाधिक समर्थक बने। पाकिस्तान ने चीन की को लेकर -81 पॉइंट्स दिए है। बुलगारिया, हांगकांग और बुर्किना फासो भी समर्थन देते हैं।

वही इथोपिया, स्टेट ऑफ पेलस्टिन, मोनटेनेग्रो, इराक, यमन, लीबिया, तुर्किएस सिंगापुर, उज्बेकिस्तान, अर्मेनिा, कोमोरोस, मलावी, हंगी, नामीबिया, तंजानिया, मलेशिया, बोसनिया एंड हरजेनगोविना, किर्गिस्तान, नॉर्दर्न साप्रस और साइप्रस चीन की लीडरशिप को लेकर काफी कम समर्थन करते है ।

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