आजकल किराए पर मकान या दुकान लेने वालों की संख्या बहुत बढ़ रही है। ऐसे में कई बार किरायेदार और मकान मालिक के बीच विवाद हो जाता है। एक ऐसा ही विवाद है किराएदार का मकान खाली न करना या किरायेदार अवैध कब्जा करके बैठ जाना। भारत में किरायेदारी कानून के तहत किरायेदार को मकान मालिक को नोटिस देकर मकान खाली करना होता है। अगर किरायेदार निर्धारित समय के भीतर मकान खाली नहीं करता है, तो मकान मालिक उससे जुर्माना वसूल सकता है।
किराएदार का अवैध कब्जा, मकान मालिक को क्या करना चाहिए?
किरायेदार के कमरा खाली नहीं करने पर मकान मालिक कानूनी कार्रवाई कर सकता है। मकान मालिक किरायेदार को नोटिस भेज सकता है कि वह कमरा खाली करें। अगर किरायेदार नोटिस के बाद भी कमरा खाली नहीं करता है, तो मकान मालिक अदालत में मुकदमा दायर कर सकता है। अदालत किरायेदार को कमरा खाली करने का आदेश दे सकती है।
मकान मालिक किरायेदार से देय किराया और अन्य बकाया राशि भी वसूल सकता है। इसके अलावा, मकान मालिक किरायेदार से कानूनी कार्रवाई की लागत भी वसूल सकता है।
कितना देना पड़ेगा किराया?
भारत के किरायेदारी अधिनियमों के तहत, अगर कोई किरायेदार मकान मालिक के बार-बार कहने पर भी मकान खाली नहीं करता है, तो उसे बढ़ा हुआ किराया देना पड़ सकता है। यह बढ़ा हुआ किराया, किरायेदार को पहले दो महीने तक किराये के दोगुना और उसके बाद 4 गुना तक देना होगा।
यह नियम मकान मालिकों को किरायेदारों को मकान खाली करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया है। यह नियम किरायेदारों को भी यह सोचने पर मजबूर करता है कि वे मकान मालिक के साथ अनुबंध की शर्तों का पालन करें।
इस स्थिति में मिलती है किरायेदार को छूट
भारत के किरायेदारी अधिनियमों के तहत, अगर किरायेदार के साथ या उसके परिवार में कोई अप्रत्याशित घटना हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में मकान मालिक किरायेदार को बढ़ा हुआ किराया नहीं दे सकता है।
अप्रत्याशित घटनाओं के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- किरायेदार या उसके परिवार के सदस्य की मृत्यु
- किरायेदार या उसके परिवार के सदस्य की बीमारी
- किरायेदार या उसके परिवार के सदस्य को नौकरी से निकालना
- किरायेदार या उसके परिवार के सदस्य को कोई अन्य गंभीर समस्या
अगर किरायेदार को इस तरह की कोई अप्रत्याशित घटना होती है, तो उसे मकान मालिक को एक लिखित प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। इस प्रमाण में घटना की तिथि, समय और घटना का विवरण होना चाहिए।
किरायेदार और मकान मालिक के बीच लिखित समझौते की आवश्यकता क्यों है?
किरायेदार और मकान मालिक के पास लिखित दस्तावेज होना अनिवार्य है, क्योंकि यह दोनों पक्षों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है। यह विवादों को कम करने में मदद करता है और कानूनी कार्रवाई की स्थिति में दोनों पक्षों के लिए सबूत के रूप में कार्य करता है।
किरायेदारी अनुबंध में निम्नलिखित जानकारी शामिल होनी चाहिए:
- किरायेदार और मकान मालिक का नाम और पता
- मकान का पता और विवरण
- किराया और भुगतान की शर्तें
- मकान खाली करने की प्रक्रिया
- किसी भी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
किरायेदारी अनुबंध तैयार करते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इसमें सभी आवश्यक जानकारी शामिल हो। आप अपने राज्य के किरायेदारी अधिनियम को देखकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
किरायेदारी अनुबंध को दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि दोनों पक्ष दस्तावेज़ के शर्तों से सहमत है।
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