Indian Railways: बोगी और कोच में भी होता है अंतर, नहीं जानते हैं तो जान लीजिए ये फैक्‍ट्स 

भारतीय रेलवे में बोगी और कोच में अंतर है। बोगी में यात्रियों के बैठने की जगह नहीं होती है, जबकि कोच में यात्रियों के लिए सुविधाएं होती हैं। बोगी ट्रेन को चलाने और रोकने के लिए ज़िम्मेदार होती है, जबकि कोच यात्रियों को सुविधाएं प्रदान करता है। ट्रेन में ब्रेक…

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Reported by Atul Kumar

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लाखों-करोड़ों लोग रोज़ाना ट्रेन से यात्रा करते हैं। रेलवे ने इस विशाल यातायात को सुव्यवस्थित बनाए रखने के लिए कुछ नियम बनाए हैं। ये नियम रात और दिन में सफर के लिए अलग-अलग होते हैं। इन नियमों का पालन न करने पर यात्रियों पर जुर्माना और कार्रवाई हो सकती है। ये नियम यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के कोच और बोगी में क्या अंतर होता है? यदि आपको नहीं पता तो कोई बात नहीं हम आपको इस आर्टिकल में बोगी और कोच की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

बोगी और कोच में क्‍या अंतर होता है

ट्रेन की बोगी और कोच एक ही जगह पर होते हैं, बोगी के ऊपर कोच टिका होता है। बोगी में बैठकर यात्रा नहीं की जा सकती, यात्रा के लिए कोच का उपयोग किया जाता है। बोगी कोच का आधार होती है और ट्रेन को चलाने के लिए आवश्यक यांत्रिक तंत्र को धारण करती है।

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बोगी:

  • बोगी में पहिए, धुरी, स्प्रिंग, ब्रेक और अन्य यांत्रिक उपकरण होते हैं।
  • यह ट्रेन को चलाने और रोकने के लिए ज़िम्मेदार होती है।
  • बोगी को लोहे या स्टील से बनाया जाता है और यह बहुत मजबूत होती है।
  • बोगी में यात्रियों के बैठने की जगह नहीं होती है।

कोच:

  • कोच में यात्रियों के बैठने, सोने और खाने की जगह होती है।
  • इसमें खिड़कियां, दरवाजे, शौचालय, पंखे, लाइट और अन्य सुविधाएं होती हैं।
  • कोच को एल्यूमीनियम या स्टील से बनाया जाता है और यह बोगी की तुलना में हल्का होता है।
  • यात्री टिकट बुक करते समय कोच का चुनाव करते हैं।

कोच क्‍या होता है ?

ट्रेन में कोच वह डिब्बा होता है जिसमें यात्री बैठते, सोते और यात्रा करते हैं। यह ट्रेन का वह हिस्सा है जिसे आप देख सकते हैं और अनुभव कर सकते हैं। कोच में खिड़कियां, दरवाजे, शौचालय, पंखे, लाइट और यात्रियों के लिए अन्य सुविधाएं होती हैं।

बोगी में ब्रेक होते हैं 

ट्रेन को रोकने के लिए बोगियों में ही ब्रेक को फिट किया जाता है। इन ब्रेक की मदद से ज्‍यादा से ज्‍यादा रफ्तार वाली ट्रेन को भी आसानी से रोका जा सकता है। ट्रेन में दो तरह के ब्रेक होते हैं:

  1. वायु ब्रेक: यह ब्रेक हवा के दबाव का उपयोग करके काम करता है। जब ब्रेक लगाया जाता है, तो हवा का दबाव कम हो जाता है, जिससे ब्रेक पैड पहियों के खिलाफ दबाए जाते हैं और ट्रेन धीमी हो जाती है।
  2. विद्युत ब्रेक: यह ब्रेक विद्युत चुम्बकों का उपयोग करके काम करता है। जब ब्रेक लगाया जाता है, तो विद्युत चुम्बक पहियों के खिलाफ ब्रेक पैड को खींचते हैं, जिससे ट्रेन धीमी हो जाती है।

ट्रेन चलते समय ज्यादा हिले डुले न इसके लिए उसमें स्प्रिंग को भी लगाया जाता है। स्प्रिंग ट्रेन के भार को सहन करते हैं और उसे रेल पटरियों पर स्थिर रखने में मदद करते हैं। स्प्रिंग ट्रेन को झटके से बचाने में भी मदद करते हैं।

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