आज के समय में खुद की कार होना एक सपने जैसा होता है। कार की कीमतें इतनी ऊँची हैं कि सभी लोग इसे खरीद नहीं पाते हैं। भारत में कई भारतीय और विदेशी कंपनियां कार बनाती और बेचती हैं। कुछ कारों पर भारी टैक्स लगता है, जो उनकी कीमत को और भी बढ़ा देता है
ऑटोमोबाइल मार्केट पिछले कुछ दशकों में काफी बदला है। पेट्रोल और डीजल के अलावा, अब मार्केट में अन्य ऊर्जाओं पर चलने वाली कारें भी आ चुकी हैं, जैसे कि इलेक्ट्रिक कारें, सीएनजी कारें और हाइब्रिड कारें।भारत में जनसंख्या बहुत अधिक है, इसलिए ऑटोमोबाइल मार्केट में हमेशा से ही बहुत संभावनाएं रही हैं। हाल के वर्षों में, भारतीय ऑटोमोबाइल मार्केट दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मार्केट बन गया है।
पेट्रोल और डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। यह प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।इसीलिए, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का चलन बढ़ रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण के अनुकूल हैं और पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में कम खर्चीले हैं। भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है।
भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर दी जाने वाली सब्सिडी के अलावा, कुछ राज्य सरकारें भी इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए अपनी सब्सिडी योजनाएं चला रही हैं।
राज्यों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की राशि अलग-अलग होती है। यह राशि वाहन के प्रकार, बैटरी क्षमता, और राज्य सरकार की नीति पर निर्भर करती है।
यहां कुछ राज्यों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की राशि का उदाहरण दिया गया है:
- दिल्ली: ₹15,000 प्रति kWh (4 kWh तक)
- महाराष्ट्र: ₹10,000 प्रति kWh (3 kWh तक)
- गुजरात: ₹20,000 प्रति kWh (4 kWh तक)
आंध्र प्रदेश: ₹25,000 प्रति kWh (4 kWh तक)
इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए सब्सिडी के लिए आवेदन करने के लिए, आप संबंधित राज्य सरकार की वेबसाइट पर जा सकते हैं।