गुजरात के व्यक्ति ने बारिश के पानी से बोरवेल रिचार्ज करने का सस्ता नीरेन उपकरण बनाया, जाने इसकी कार्यविधि

NeeRain: स्टिक इंजीनियर अमित दोशी ने एक खास तरह के स्टार्टअप नीरेन जोकि काफी सरलता से इंस्टाल हो जाने वाला बारिश के पानी को एकत्रित करने वाला उपकरण तैयार किया है। ये बोरवेल को रिचार्ज करने के बाद भूजल की मात्रा एवं क्वालिटी को भी ठीक करने में मददगार रहता…

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Reported by Atul Kumar

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NeeRain: स्टिक इंजीनियर अमित दोशी ने एक खास तरह के स्टार्टअप नीरेन जोकि काफी सरलता से इंस्टाल हो जाने वाला बारिश के पानी को एकत्रित करने वाला उपकरण तैयार किया है। ये बोरवेल को रिचार्ज करने के बाद भूजल की मात्रा एवं क्वालिटी को भी ठीक करने में मददगार रहता है। इस समय पर 7 देशों में बिकने वाले इस उपकरण से हमारे देश में पानी की समस्या में कमी आ रही है।

जिस समय पर अमित दोशी क्लास 4 में पढ़ते थे तब वो अपने भाई को अपनी मां के साथ पानी की बाल्टी ले जाते देखते थे। दोशी गुजरात के अहमदाबाद से करीबन 35 किमी दूरी पर मौजूद एक सेमी-सिटी क्षेत्र कलोल में नल की लंबी लाइन में लगा करते थे। यह साल 1986 था और भूजल का लेवल भी हैरानी से कम होने के कारण उनके क्षेत्र के बोरवेल भी सूख चुके थे। नगर पालिका की तरफ से प्रत्येक 3 दिन में पानी की आपूर्ति होती थी।

प्लास्टिक इंजीनियर है अमित

इस समय अमित की उम्र 46 हो चुकी है और वो परिवार में पानी की समस्या को देखकर बड़े हुए है। उनका परिवार ड्रम में 200 लीटर पानी की प्रोब्लम से पीड़ित रहा है। गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक से प्लास्टिक इंजीनियर का डिप्लोमा लेने वाले अमित के मुताबिक उनकी मां ने ऐसी स्थिति में भी कभी शिकायत नहीं की थी।

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साल 1997 में उन्होंने सिंटेक्स उद्योग लिमिटेड में जॉब की शुरुआत की एवं साल 2014 में अपने व्यवसाय को भी शुरू किया। उनके दिमाग में छातो, सड़को एवं मैदान एस बहने वाले बारिश के पानी को एकत्रित करने की स्कीम आने लगी। कुएं एवं बोरवेल के माध्यम से भी पानी की रहने को बेहतर करने को लेकर कुछ प्रयास करके इको भूमि में एकत्रित अथवा रिचार्ज करने का काम हो सकेगा।

बोरवेल को रिचार्ज करेगा नीरेन

केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक हमारे देश में प्रति वर्ष 4 हजार अरब घन मीटर वर्षा होती है किंतु सिर्फ 8% को ही बचाया जाता है। ये विश्वभर के देशों में काफी कम है। अमित ने एक कम खर्चीला और सरलता से उपयोग होने वाले जल संचय उपकरण को तैयार करने का निश्चय किया। 1 वर्ष के प्रयास के बाद वो ऐसे ही एक उपकरण को तैयार करनें में सफल हो पाए जोकि नीरेन रेनवाटर फिल्टर है।

1x1x1.5 फीट माप का ये छोटा फिल्टर उपकरण, ABS नाम के इंजीनियरिंग पदार्थ को उपयोग में लाता है एवं इसका पेटेंट भी साल 2018 में किया है। नीरेन प्राइवेट कंपनी ने MSME टूल रूम की मदद से फिल्टर को बनाने की शुरुआत की। आरंभ में इन्वेस्टमेंट 25 लाख रुपए तक का रहा किंतु उनको सब्सिडी में 10.81 लाख रुपए मिल सके।

नीरेन को बोरवेल, हैंडपंप, टंकी, कुंए, रिचार्ज वेल याड्रामो अथवा दूसरे स्टोरेज स्ट्रेचर में बारिश के पानी को एकत्रित करने में करते है। यह प्रोडक्ट जून 2020 में सामने आया था और इस 2,950 रुपए की लागत लगी है। एक सूखे हुए बोरवेल को दुबारा ड्रिलिंग करवाने पर 3 लाख रुपए तक का खर्चा आ सकता है। किंतु नीरेन इससे सस्ता भूमिगत पानी के रिचार्ज करने का तरीका है।

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ऐसे काम करता है नीरेन

ABS फिल्टर वाले एक गैर-इलेक्ट्रिक उपकरण, नीरेन की कार्य समय भी 25 वर्षो का है। वैसे तो बारिश का पानी स्वच्छ होता है किंतु छत अथवा अन्य जगह से ये दूषित सा हो जाता है जोकि TDS कहलाता है। इसकी सफाई के लिए जल को पाइप से बहाते है जोकि कपड़े से पानी को कचरा मुक्त करता है। पहला फिल्टर 400 माइक्रोन के कण एवं दूसरा फिल्टर 200 माइक्रोन के कणों को हटाएगा। ऐसे बोरवेल एवं टैंक पूरी तरह से साफ जल से रिचार्ज होने लगते है और पानी की निकासी सुलभ होती है।

ये फिल्टर जंग एवं प्रदूषण से भी सेफ है। पानी को स्टोर करने में बिजली नहीं चाहिए चूंकि ये फिल्टर ग्रैविटी के अनुसार काम करते है। समय के साथ वर्षा के जल का भूमि में रिसाव होने पर भूजल का लेवल बढ़ने लगता है एवं पानी का PH लेवल भी ठीक होता है। ज्यादा टाइम के लिए बोरवेल रिचार्ज हो जाते है और इसको लगाने में अधिक जगह की भी जरूरी नहीं है। ये फिल्टर 1,100 से 1,300 वर्ग फीट की छत वाले घर की दीवारों में लग पाएगा और यह 2 घंटो में ही लग जाएगा।

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