Supreme Court Decision: लोन की EMI नहीं भरने के मामले में बैंकों को दिया ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो लोन डिफॉल्टरों के लिए राहत की खबर है। इस फैसले के अनुसार, अब बैंक बिना सुनवाई के ही लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित नहीं कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने लोन डिफॉल्टरों को बैंकों के मनमाने फैसलों से बचाने के लिए एक…

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Reported by Atul Kumar

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क्या आपने कभी लोन लिया है? क्या आपने कभी EMI नहीं भर पाए? क्या बैंक ने आपके लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित कर दिया? अब चिंता न करें! सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों की मनमानी पर लगाम लगा दी है। अब बैंक पहले की तरह लोन अकाउंट को फ्रॉड नहीं घोषित कर पाएंगे। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए राहत की खबर है जो किसी कारण से लोन की किस्तें नहीं भर पाए थे।

आइए जानते हैं की सुप्रीम कोर्ट ने लोन की ईएमआई नहीं भरने के मामले में बैंकों को क्या निर्देश दिया है। अतः आर्टिकल में अंत तक अवश्य बने रहें।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को चेताया है कि वे बिना सुनवाई के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित नहीं कर सकते। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए राहत की खबर है जो किसी कारण से लोन की किस्तें नहीं भर पाए थे।

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इस फैसले के बाद बैंकों को लोन डिफॉल्टर्स के साथ उचित व्यवहार करना होगा। यह जानकारी आपको लोन लेने और चुकाने के बारे में अधिक जागरूक बनाने में मदद करेगी।

लोन डिफॉल्टरों के लिए राहत की खबर

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो लोन डिफॉल्टरों के लिए राहत की खबर है। इस फैसले के अनुसार, अब बैंक बिना सुनवाई के ही लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित नहीं कर सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने लोन डिफॉल्टरों को बैंकों के मनमाने फैसलों से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अब बैंक बिना सुनवाई के ही लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित नहीं कर सकेंगे।

क्या है रिजर्व बैंक का मास्टर सर्कुलर

सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के एक मास्टर सर्कुलर (Frauds Classification and Reporting by Commercial Banks and Select FL’s Directions 2016) को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। यह मास्टर सर्कुलर बैंकों को निर्देश देता था कि वे विलफुल डिफॉल्टर्स के लोन अकाउंट्स को फ्रॉड वर्गीकृत करें।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लोन डिफॉल्टरों के लिए एक बड़ी राहत है। यह फैसला कर्जदारों को बैंकों के मनमाने फैसलों से बचाता है और उनके संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षित रखता है।

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