माफीनामे के बाद भी पतंजलि को कोर्ट से राहत नहीं, SC ने यह आदेश भी दिया

Patanjali Ayurved News: मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में पतंजलि के एलोपैथी दवाइयो के भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुनवाई की गई। केस की सुनवाई न्यायालय हिमा कोहली एवं अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर रही थी। कोर्ट रूम में बाबा रामदेव, पतंजलि कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण भी उपस्थित थे। पतंजलि…

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Reported by Atul Kumar

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Patanjali Ayurved News: मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में पतंजलि के एलोपैथी दवाइयो के भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुनवाई की गई। केस की सुनवाई न्यायालय हिमा कोहली एवं अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर रही थी। कोर्ट रूम में बाबा रामदेव, पतंजलि कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण भी उपस्थित थे। पतंजलि के वकील ने कोर्ट में कहा कि पतंजलि की तरफ से देश के 67 न्यूजपेपर्स में माफीनामा छपवाया गया है और इस काम में 10 लाख रुपए का खर्चा आया है। इन उच्चतम न्यायालय ने इस माफीनामे को अस्वीकृत कर दिया है और अब केस की सुनवाई 30 अप्रैल के दिन रखी गई है। उस दिन बाबा रामदेव और बालकृष्ण भी उपस्थित होंगे।

माफीनामे के साइज पर सवाल खड़े किए

केस की सुनवाई के समय न्यायालय ने प्रश्न किया कि आखिरकार कल मामले पर माफीनामा क्यों दायर किया है और इसको तो पहले ही करना था। प्रश्न का उत्तर पतंजलि के शीर्ष वकील मुकुल रोहतगी का उत्तर था कि हमारी तरफ से 67 समाचार पत्रों में माफीनामा जारी हुआ है। इस काम में हमारे 10 लाख रुपए खर्च हो चुके है। उनके उत्तर पर कोर्ट का प्रश्न था कि ये भी उतने आकर का माफीनामा था जितना कि आपने विज्ञापन दिया था? आगे और पूछा कि क्या वो हर समय ऐसे आकर का ही विज्ञापन देते आए है? फिर वकील मुकुल रोहतगी की विज्ञापन पर लाखो के खर्चे की बात पर कोर्ट ने हमको कोई चिंता नहीं है उत्तर दिया।

टीवी के एक भाग पर विज्ञापन चल रहा

उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का कहना है कि वो केस की याचिका के अंतर्गत उपभोक्ता एक्ट को भी सम्मिलित कर सकते है। इस तरह ए सूचना प्रसारण मिनिस्ट्री का क्या? हम देख रहे है कि पतंजलि केस में टीवी पर दिख रहा है कि न्यायालय क्या कहता है। एकदम उस टाइम एक भाग में कंपनी का विज्ञापन चलता है।

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न्यायालय ने सरकार से प्रश्न किया कि आयुष मंत्रालय की तरफ से नियम 170 की वापसी का निर्णय क्यों हुआ?( राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण की स्वीकृति के बगैर आयुर्वेद, सिद्ध एवं यूनानी दवाइयो के विज्ञापान पर रोक)। अब क्या आपके पास अधिकार है कि वर्तमान के नियम को न माने? क्या ये मनमानी नहीं होगी? क्या आपके लिए पब्लिश होने वाले मेटर के स्थान पर राजस्व की ज्यादा परवाह नही है?

यह केस अन्य कंपनियों से भी जुड़ा है – कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने बताया कि पतंजलि कहते है कि वो अपनी ओर से माफीनामा पब्लिश कर चुके है। किंतु यह बात रिकॉर्ड पर नहीं है। फिर मुकुल रोहतगी कहते है कि वो इसको आज ही रिकॉर्ड में डालने का काम करेंगे। कोर्ट का कहना था कि ये केस केवल पतंजलि का ही नही है किंतु अन्य कंपनियों के भ्रामक विज्ञापन भी चिंताजनक है। यहां कोर्ट ने पतंजलि को स्पष्ट कह दिया है कि उनको माफीनामे के नए वाले विज्ञापन को भी पब्लिश करना पड़ेगा और इसको रिकॉर्ड पर भी लाने की जरूरत है।

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न्यायमूर्ति कोहली ने अपनी चिंता भी जाहिर की

न्यायमूर्ति कोहली कहते है कि आपको यह बताने की जरूरत है कि सलाहकार काउंसिल ने इस तरह के एड के विरोध में क्या किया एवं सदस्यों की तरफ से भी इस तरह के प्रोडक्ट्स को स्पोर्ट मिला। आपके मेंबर्स दवाएं लिखने का काम कर रहे है। जिस प्रकार की कवरेज हम देख चुके है और हम बच्चे, शिशु एवं महिलाओ को देखते है कि किस को भी धोखे में नहीं रख सकते है। भारत सरकार को भी इस मामले में जागरूक होना होगा। सिर्फ इस कोर्ट के सामने प्रतिवादियों तक की बात नहीं है अपितु दूसरी FMCG भी लोगो को भ्रमित करने वाले विज्ञापन देने में लगी है। ये खासतौर पर शिशुओं, स्कूली बच्चों एवं बुजुर्गो की हेल्थ पर असर करने वाले है जोकि इनके प्रोडक्ट्स को इस्तेमाल करते है।

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