Home Loan: यदि आपने अपने घर को खरीदने में बैंक अथवा किसी हाउसिंग फाइनेंस से ऋण ले रखा हो तो वे इसकी EMI न आने पर बहुत से तरीके को अपनाते है। कुछ लोगों पर होम लोन के साथ ही कुछ अन्य लोन भी होते है और इन सभी को चुकता करना काफी मुश्किल लगने लगता है। जाने लें कि होम लोन एक सुरक्षित ऋण होता है जिसका मतलब है कि लोन लेने वाले व्यक्ति के घर पर लोन प्रदाता का उस समय तक अधिकार होगा जब तक कि वो लिए गए होम लोन की अदायगी नहीं कर देता है।
इस मामले में कानून के जानकार बताते है कि यदि लोन लेने वाला व्यक्ति निरंतर 3 माह तक अपने होम लोन की किस्त नही चुकाता रहा है तो साल 2002 के सर्रफेसी एक्ट के मुताबिक कानूनी रूप से ही लोन प्रदाता को बची रह गई राशि की वसूली में घर के नीलामी का प्रोसेस करने का अधिकार रहेगा।
होम लोन डिफाल्टर एक आम समस्या
होम लोन लेने के बाद डिफाल्टर (Home loan default) होना कोई खास बात तो नहीं है किंतु आने वाले समय की स्थिति एवं ऊंच-नीच को ध्यान में रखे बगैर ही लोन लेने में खतरा हो। होम लोन लेने में कुछ बाते गौर करने वाली रहती है जैसे कि लोन लेने वाले व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी लग जाए अथवा उसका काम-नौकरी ठीक से न चलने पाए। ऐसे में होम लोन डिफाल्टर हो जाना लाजमी सी बात हो जाती है किंतु अब ये जान ले कि इस तरह की स्थित में आ जाने पर क्या ऑप्शन रहते है।
होम लोन की किस्त न दे पाने पर उपाय
आने वाले समय में होम लोन न चुका पाने पर बुरी स्थिति न हो इसमें विशेषज्ञ यह कहते है कि आपको पूर्व समय में ही आने वाले 6 माह के लिए कुछ Emergency Fund एकत्रित करके रखना चाहिए। इसका मतलब है कि आपने एडवांस में 6 EMI की रकम को अलग रखना होगा और उसको बिलकुल छेड़ना नहीं है। अब वो उपाय जान लें जो कि आपको EMI न दे पाने की स्थित में करने होंगे
पहली किस्त छूटने पर तुरंत ये काम करें
यदि आपकी EMI छूट गई हो किंतु आपने ये जानकर नहीं किया है। ऐसा आपके किसी खास परेशानी में पड़ जाने के कारण से हुआ हो तो आपको आपने पहली किस्त के छूटने पर बिना देर किए बैंक में संपर्क करना है। इस बारे में बैंक के मैनेजर से चर्चा करके अपनी परेशानी को साझा करें। इस दशा में बैंक की तरफ से जुर्माना लगाने के साथ आप इसे भर पाएंगे।
लगातार दो किस्तों के छूटने पर ऐसा करें
अगर आपकी एक या फिर दो किस्त बाउंस हो जाती हो तो आपको बैंक के मैनेजर से बात करनी होगी और ये किस्त जमा करनी है। अब मैनेजर से ये विनती जरूर करें कि वो आपके सिबिल में नकारात्मक रिपोर्ट सेंड न करें। इसके अलावा उनको विश्वास में लाए कि आने वाले समय में ये दुबारा नहीं होगा। ध्यान रखें कि यदि आपके द्वारा निरंतर 3 माह तक किस्त बाउंस होने पर सिबिल स्कोर पर बुरा असर जरूर पड़ेगा। चूंकि ये नेगेटिव रिपोर्ट बैंक मैनेजर भेजने वाला है और आपको अगले लोन को लेने में दिक्कत होगी।
यदि अधिक टाइम तक किस्त दे न पा रहे हो
यदि आपकी दिक्कत अधिक बड़ी हो और आप महसूस करते है कि अब कुछ टाइम के लिए आपने किस्त दे पाने की ताकत नहीं है। तब आपको बैंक के मैनेजर से मिलकर अपनी समस्या बताकर EMI को होल्ड पर ले जाना है। थोड़े टाइम के बाद पैसे आ जाने पर आप राशि को देना शुरू कर दें, ऐसा करने से आप थोड़ी राहत अवश्य पाएंगे।
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वेतन देरी से आने पर EMI बाउंस हो तो
यदि किसी वजह से आपका वेतन देरी से आ रहा हो अथवा सही तारीख पर EMI के पैसे का इंतजाम न हो पा रहा हो तो आपकी किस्त बाउंस हो जायेगी। ऐसे में आपने बैंक मैनेजर से एरियर EMI को लेकर चर्चा करनी होगी। लोन की EMI देने की तिथि अधिकांश मौकों पर माह के शुरू की डेट ही रहती है जिसको एडवांस EMI कहा जाता है। अधिकांश लोन ले रहे व्यक्ति को यही ऑप्शन मिलता है किंतु आप अपनी इच्छा से एरियर EMI का ऑप्शन ले सकते है जिससे आप माह के अंत में किस्त देंगे।