एक महत्वपूर्ण फैसले में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अविवाहित बेटियां भी घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं।
यह फैसला न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा ने नईमुल्लाह शेख और अन्य द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए सुनाया। याचिकाकर्ताओं ने अपनी तीन बेटियों द्वारा दायर अंतरिम भरण-पोषण के लिए आवेदन को चुनौती दी थी।
न्यायालय ने कहा कि
- घरेलू हिंसा अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाना और उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है।
- इस अधिनियम के तहत “पीड़ित” की परिभाषा में अविवाहित बेटियां भी शामिल हैं।
- यदि कोई अविवाहित बेटी आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं है और उसे गुजारा भत्ता की आवश्यकता है, तो वह घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत इसके लिए आवेदन कर सकती है।
यह फैसला अविवाहित बेटियों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है। यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें अपने माता-पिता से गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार देता है।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपको इस फैसले के बारे में जाननी चाहिए
- यह फैसला केवल इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए बाध्यकारी है।
- अन्य राज्यों के उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय इस फैसले से सहमत नहीं हो सकते हैं।
- यदि आप अविवाहित बेटी हैं और आपको गुजारा भत्ता की आवश्यकता है, तो आपको एक वकील से सलाह लेनी चाहिए और घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत आवेदन करना चाहिए।
अतिरिक्त जानकारी:
आप घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के बारे में अधिक जानकारी के लिए इन वेबसाइटों पर जा सकते हैं:
अंत में, मैं आपको सलाह दूंगा कि आप यदि आपको गुजारा भत्ता प्राप्त करने में कोई परेशानी हो रही है, तो आप एक वकील से सलाह लें।
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