प्रत्येक वर्ष श्रावण माह शुल्क पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है। वर्ष 2023 में तुलसीदास जयंती 23 अगस्त 2023 को बुधवार के दिन मनाई गई थी लेकिन इस वर्ष इस जयंती को रविवार 11 अगस्त 2024 को बड़े उत्सव के साथ मनाया जाएगा। तुलसीदास जी को महाकवि के नाम से भी जाना जाता है। यह एक रामभक्त थे जिन्होंने राम जी की भक्ति करने में अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत कर दिया। इन्होंने महान काव्य श्री रामचरितमानस, विनय पत्रिका तथा राम लला नहछू लेख लिखें हैं। आपको बता दें श्री रामचरितमानस को विश्व के सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वां स्थान प्राप्त है। यह एक बैरागी साधु, हिंदी साहित्य के महान कवि, साहित्यकार तथा दार्शनिक थे। आइए जानते हैं इनकी जीवन में बारे में सम्पूर्ण जानकारी।
तुलसीदास का जीवन परिचय
तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में हुआ था। इनका पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास था। यह एक सरयूपारी ब्राह्मण के परिवार से आते थे। ये रामभक्त थे और दिन रात राम जी की भक्ति करते रहते थे। एक अचरज की बात है जब इन्होंने जन्म लिया था तो उस समय ही इन्होंने अपने मुंह से राम नाम का शब्द कहा जिस वजह से इनके परिवार ने इनका नाम रामबोला रख दिया। इनकी माँ का देहांत इनके बचपन में ही होगा गया था इसके पश्चात इनके पिता ही थे जो इनकी देखभाल एवं इनका लालन-पोषण कर सकते थे लेकिन इन्होंने भी यह सब जिम्मेदारी निभाने से साफ़ इनकार कर दिया। इसके बाद इनकी मां की दासी ने ही तुलसीदास को अपने बेटे के समान प्यार से पालना शुरू कर दिया लेकिन कुछ समय बाद दासी की भी मृत्यु हो गई। उस समय तुलसी दास केवल साढ़े पांच वर्ष के बच्चे थे। गरीबी और भूख के कारण तुलसी दास जी ने भिक्षा मांगना शुरू कार्य दिया इससे ही वे अपने प्रतिदिन का गुजारा करते थे। ऐसा भी बोला जाता है की एक समय में तुलसीदास की बहुत ही बुरी हालत हो रखी थी यह सब देखकर माता पार्वती का दिल बहुत ही दुखी हुआ और वे तुरंत ही अपना भेष बदलकर इनके पास पहुंची ताकि वे तुलसी जी का लालन पोषण कर सके।
Tulsidas जी को 16वीं सदी के महान संतों तथा कवियों के रूप में जाना जाता था। इन्होंने कई रचनाएं की है जो भारत के साथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई हैं जैसे- कवितावली, श्रीरामचरितमानस, बरवै, जानकी मंगल, हनुमान चालीसा, विनयपत्रिका, गीतावली आदि।
तुलसीदास जी बने राम भक्त
तुलसीदास जी अपनी धर्मपत्नी से अत्यधिक प्रेम करते थे। शादी के कुछ दिन पश्चात इनकी पत्नी अपने मौके गई थी। पत्नी की याद इन्हें सताने लग गए और ये उसी समय उनके पीछे उफनती नदी तक चले गए और उनके घर तक पहुँच गए। यह देख कर उनकी पत्नी ने भी उनको सुनाना शुरू कर दिया की जितना प्यार आप मुझसे कर रहें हैं उतना भगवान श्रीराम से करते तो आपको अवश्य ही मोक्ष की प्राप्ति होती। पत्नी की इस बात को सुनकर तुलसीदास का राम भक्ति का मन उजागर हो गया। और वे अपना सम्पूर्ण जीवन अब राम भक्ति में ही व्यतीत करने लगे।
Tulsidas Jayanti कब मनाई जाती है?
वर्ष 2024 में तुलसीदास जयंती रविवार 11 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। अर्थात पारम्परिक हिन्दू कैलेंडर में श्रावण के महीने के दौरान कृष्ण पक्ष (चन्द्रमा के अंधेरे पखवाड़े) की सप्तमी (7 वें दिन) यह जयंती हर साल बड़ी धूम-धाम एवं उत्सव के साथ मनाई जाती है।
Tulsidas जी की मृत्यु (Death)
इतिहासकारों का कहना है की अपने अंतिम क्षणों में तुलसीदान वाराणसी में रह रहे थे। जीवन के अंतिम दिनों में भी वे पूरे दिन रामभक्ति ही करते रहते थे। वर्ष 1623 ईस्वी में इन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया और अपना शरीर त्याग कर परलोक चले गए। उस समय इनकी उम्र 112 वर्ष बताई गई है।
लेकिन कई विद्वानों का कहना है की इनकी मृत्यु 1680 ईस्वी में श्रावण कृष्ण तृतीया शनिवार को हुई थी। मृत्यु के दौरान भी ये राम नाम का जप करने पर लगे हुए थे। अंतिम समय के दौरान इन्होंने विनय पत्रिका नामक पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक पर भगवान् राम ने स्वयं अपने हस्ताक्षर किए थे।