यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जो कई लोगों को परेशान करता है। ऋण लेने से पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि साहूकार और बैंक दोनों ही ऋण प्रदान करते हैं, लेकिन उनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं जो आपके निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में ऋण के लिए बैंक और साहूकारों के बीच तुलना महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों ही विकल्पों के फायदे और नुकसान हैं।
निजी साहूकारों ने उठाया फायदा
कुछ साल पहले तक, छोटे शहरों और गांवों के लोगों के लिए बैंकिंग सेवाओं तक पहुंचना मुश्किल था। नतीजतन, वे जल्दी पैसे प्राप्त करने के लिए अपने शहर या गांव के निजी साहूकारों पर भरोसा करते थे।
यह सोच कई कारणों से गलत थी:
- उच्च ब्याज दर: साहूकार बैंकों की तुलना में बहुत अधिक ब्याज दरों पर ऋण देते थे।
- अविश्वसनीय समय सीमा: ऋण चुकाने की समय सीमा अक्सर बहुत कम होती थी, जिससे लोगों को ऋण चुकाने में कठिनाई होती थी।
- शोषण: साहूकार अक्सर गरीब और कमजोर लोगों का शोषण करते थे।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच में काफी सुधार हुआ है। सरकार और बैंकों ने मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं।
इन पहलों के परिणामस्वरूप:
- बैंकों की शाखाओं और एटीएम की संख्या में वृद्धि हुई है।
- मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को बढ़ावा दिया गया है।
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को बैंकिंग सेवाओं के बारे में जागरूक किया गया है।
इन बदलावों के कारण, छोटे शहरों और गांवों के लोगों को अब निजी साहूकारों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। वे अब बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जो कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं और अधिक लचीली समय सीमा प्रदान करते हैं।
यह बदलाव लोगों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। अब वे ऋण प्राप्त करने के लिए साहूकारों की दया पर निर्भर नहीं हैं। वे बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।
यह बदलाव भारत के ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह लोगों को अपनी आय बढ़ाने और अपने जीवन स्तर में सुधार करने में मदद कर रहा है।
सरकारी योजनाओं से वंचित
जब आप निजी साहूकारों से ऋण लेते हैं, तो आप केवल पैसे उधार लेते हैं, लेकिन जब आप बैंक से ऋण लेते हैं, तो आप कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
कम जोखिम भी शामिल
बहुत से लोगों का मानना है कि लोन लेना एक वित्तीय जाल है, लेकिन यह हमेशा सही नहीं होता। बैंकिंग विशेषज्ञ और सही बीएनके के सीईओ कमलजीत रस्तोगी कहते हैं कि लोन केवल तभी जाल बनता है जब आप इसे किसी निजी साहूकार से लेते हैं, न कि बैंक से। बैंक आपको लोन के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं और आपकी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने में भी योगदान दे सकते हैं।