हाल ही में लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई, जिससे देश भर में आचार संहिता भी लागू कर दी गई है। आपको बता दें कुल 7 चरणों में वोट दिए जाएंगे। जिनका रिजल्ट 4 जून को घोषित किया जाएगा। चुनाव शुरू होने से पहले हमेशा भारत निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करता है जिसके पश्चात आचार संहिता लागू होती है। अर्थात जो सरकारी मशीनरी होती है वह चुनाव आयोग के कंट्रोल में आ जाती है। मतदान तथा मतगणना के रिजल्ट की आधिकारिक घोषणा के पश्चात ही देश भर से आचार संहिता हटाई जाती है। लेकिन क्या आपको यह भी पता है कि आचार संहिता लगते ही चुनाव आयोग क्यूँ और कैसे करता है अधिकारियों के ट्रांसफर, तो चलिए जानते हैं इस विषय के बारे में……
क्या है आचार संहिता?
देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांति से चुनाव करने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम निर्धारित किए हुए हैं। आयोग के इन नियमों को ही आचार संहिता कहा जाता है। आचार संहिता केवल लोकसभा चुनाव में ही नहीं बल्कि विधानसभा के चुनाव में भी लागू की जाती है। इन नियमों का पालन सरकार, नेता, उम्मीदवार तथा राजनीतिक दलों को करना आवश्यक होता है।
भारतीय संविधान के 374 अनुच्छेद के तहत, चुनाव आयोग द्वारा संसद, राज्य विधान मंडलों के लिए निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं शांतिपूर्ण चुनावों का आयोजन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। और इन जिम्मेदारियों का पालन करना आचार संहिता कहलाती है।
चुनाव आचार सहिंता का उल्लंघन करने पर क्या होगा?
सभी राजनैतिक दलों तथा उम्मीदवारों को चुनाव आचार संहिता के नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। यदि कोई इन का नियमों का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग इस पर कार्रवाई भी कर सकता है। जो भी राजनीतिक दल अथवा प्रत्याशी उल्लंघन करते हैं तो उन पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। इसके अतिरिक्त यदि मामला गंभीर है तो चुनाव आयोग उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से बाहर भी कर सकता है तथा उस पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज किया जाता है। और उम्मीदवार को जेल भी हो सकती है।
चुनाव आयोग क्यूँ और कैसे करता है अधिकारियों के ट्रांसफर?
पिछले हफ्ते ही चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के प्रोग्राम का एलान करते हुए कहा कि वे देश में चुनाव शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हर संभव प्रयास का सहारा लेंगे। जैसा की आप सब जानते हैं देश में चुनाव की घोषणा हो गई है और अब देश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाती है। लेकिन क्या आपको यह भी पता है चुनाव आयोग आचार संहिता में अधिकारियों के ट्रांसफर क्यों करता है? इसके कई कारण हो सकते हैं-
- सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग को रोकना – चुनाव प्रक्रिया के दौरान कई अधिकारी चुनाव प्रचार में सरकारी संसाधनों का गलत उपयोग कर सकते हैं। अतः ट्रांसफर से यह सुनिश्चित होता है कि सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल सही तरीके से किया जा सके।
- कानून और व्यवस्था बनाए रखना- चुनाव के समय देश में कानून व्यवस्था बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। अधिकारियों के ट्रांसफर से चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित होते हैं।
चुनाव आयोग जिन भी अधिकारियों का ट्रांसफर करता है उनका नामांकन, मतदान तथा परिणाम आने तक उनके पद से हटा देता है। चुनाव आयोग का परिणाम आने के बाद सभी अधिकारियों को उनके पद वापस मिल जाते हैं।
संविधान से मिलती है चुनाव आयोग को शक्तियां
देश के संविधान के माध्यम से ही इलेक्शन कमीशन का गठन किया जाता है। यह एक प्रकार की संवैधानिक संस्था होती है। संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग के कार्यों का जिक्र किया रहता है। अनुच्छेद में स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनावों के संचालन के बारे में बताया गया है। चुनाव आयोग को जितनी भी शक्तियां प्राप्त हैं वह संविधान द्वारा ही प्रदान की गई है। इन शक्तियों में कानून में पारदर्शिता से लोकसभा, विधानसभा एवं अन्य चुनाव करने के अधिकार शामिल रहते हैं। चुनाव को सही तरीके से कराने के लिए आयोग लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाकर कार्य करता है।
आचार संहिता का सब को करना होता है पालन
चुनाव आयोग द्वारा देश में चुनाव आचार संहिता लागू की जाती है और यह चुनाव आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है। आचार संहिता में सरकारी अधिकारियों, उम्मीदवारों तथा राजनीतिक दलों के व्यवहार के लिए दिशानिर्देश बताए जाते हैं। जिसका उन्हें पालन करना आवश्यक होता है। आचार संहिता में भ्रष्टाचार, प्रचार के लिए सरकारी मशीनरी, भड़काऊ भाषण तथा हथियार का इस्तेमाल आदि सभी चीजों पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इससे चुनाव होने में कोई भी बाधा नहीं आएगी और वातावरण में शांतिपूर्ण माहौल बना रहेगा।