Supreme Court Decision On EVM VVPAT: शुक्रवार के दिन EVM के मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ा फैसला आया है जिसमे उच्चतम न्यायालय (SC) ने EVM से वोट डालने के बाद निकलने वाली सभी वीवीपैड पर्ची के मिलाने की डिमांड को अस्वीकृत किया है। इस निर्णय के आने पर इलेक्शन के प्रोसेस के बारे में उठाए जाने वाले सभी सवालों पर विराम लग गया।
बुधवार को फैसला सुरक्षित रखा था
कोर्ट ने एक लंबे समय की सुनवाई कर लेने पर बुधवार को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था। याचिकाओं को लेकर सुनवाई के समय पर अदालत ने इलेक्शन कमीशन से सवाल किया था कि क्या EVM से डाले गए मत एवं इससे मिली पर्चियों को मिलाने का काम हो सकता है। इसको लेकर कमीशन ने नेगेटिव सलाह देते हुए कहा था कि अगर इस तरह से काम करे तो परिमाण को जारी करने में 12 दिनों का समय लगने लगेगा।
5% ईवीएम की चेकिंग हो सकेगी
इसके बाद अदालत का फैसला था कि EVM से मतदान करवाने का कार्य जारी रखेंगे। किंतु कोर्ट ने यह भी कहा कि परिणाम में दूसरा अथवा तीसरा स्थान पाने वाला उम्मीदवार 5% EVM की चेकिंग करवा सकेगा। किंतु इस चेकिंग में आने वाले खर्चों को वह कैंडिडेट भी वहन करेगा। कोर्ट ने साथ में कहा कि वोटिंग होने पर न्यूनतम 45 दिन के लिए वीवीपैड की पर्चियों को सम्हलकर रखना पड़ेगा। इस तरह से करने पर कोई विवाद हो जाने की दशा में EVM में डाले गए मतों पर मिलाने का काम हो सके।
पहले से ही पुख्ता नियम मौजूद – आयोग
इलेक्शन कमीशन का सुनवाई में कहना था कि प्रत्येक EVM के साथ वीवीपैड को मिलाने का काम मुमकिन नहीं है। कमीशन के मुताबिक पूर्व समय से ही ये नियम है कि किसी भी 5% EVM पर वीवीपैड को मिलाने का काम कर सकते है। इस तरह से ये एक ठोस नियम है जोकि सभी शंकाओं को हल कर देता है। कमीशन ने यह भी समझाने का काम किया कि अभी तक कोई भी EVM मशीन की हैनिंग का काम नही कर पाया है। इस तरह से इसको लेकर प्रश्न करना टेक्निकल मामले में बिल्कुल भी सही नही है।
दूसरे चरण के चुनावो के बीच अहम फैसला
कल तक कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन की बात को सुनकर अपने निर्णय को सुरक्षित रखा था और आज कोर्ट की तरफ से ऐसे समय पर फैसला सुनाया गया है जिस समय पर देश में 88 लोकसभा सीटो पर दूसरे चरण के मतदान जारी है। अदालत का कहना है कि EVM में हर एक चिन्ह लोडिंग की सीलिंग हो और इस काम को प्रत्याशियों की उपस्थिति में करना है। यहां पर कोर्ट ने बैलेट पेपर पर वोटिंग करवाने की डिमांड को भी एकदम नकारा है। इस मामले में कोर्ट का कहना था कि हमने बैलेट पेपर पर इलेक्शन को देखा है और उस समय पर जो होता था।
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रिजल्ट के 7 दिनों में शिकायत हो सकेगी
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि वोट की गिनती होने पर भी कंट्रोल इकाई, बैलेट इकाई एवं वीवीपैड को सेफ रखन होगा। चुनावो के परिणाम घोषित होने के 7 दिन के भीतर दूसरा अथवा तीसरा स्थान पाने वाले उम्मीदवार की तरफ से इनको मिलाने की मांग आ सकती है। इनके अप्लाई करने पर निर्माता कंपनियों के इंजीनियर्स इसकी चेकिंग का काम करेंगे।