क्या मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटा सकती है, जानें सुप्रीम कोर्ट के जज को कैसे हटाया जाता है

संविधान का अनुच्छेद 124 (4) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया निर्धारित करता है। न्यायालय के न्यायाधीश को तब तक निष्कासित नहीं कर सकते जब तक उस पर भ्रष्टाचार तथा अक्षमता का आरोप ना लगे।

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Reported by Atul Kumar

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भारतीय संविधान में कार्यरत सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने की प्रक्रिया अत्यंत ही कठिन तथा कठोर है। यह प्रक्रिया जटिल इसलिए बनाई गई है ताकि न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा हो सके तथा न्यायाधीशों को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखा जा सके। सुप्रीम कोर्ट के जज को केवल साबित कदाचार अथवा असमर्थता के बल पर ही निष्कासित किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 124 (4) में बताया गया है। लेकिन आपको क्या लगता है की मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के जज हो हटा सकती है। यह सभी जानकारी जानने के लिए लेख में आगे बने रहिए।

क्या मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटा सकती है, जानें सुप्रीम कोर्ट के जज को कैसे हटाया जाता है

संविधान के अनुच्छेद 124 में क्या कहा गया है?

संविधान का अनुच्छेद 124 (4) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया निर्धारित करता है। न्यायालय के न्यायाधीश को तब तक निष्कासित नहीं कर सकते जब तक उस पर भ्रष्टाचार तथा अक्षमता का आरोप ना लगे। इसके पश्चात प्रत्येक सदन में बहुमत प्रक्रिया की शुरुआत की जाती है जिसमें मत देने वाले सदस्यों की कम से कम दो तिहाई बहुत होने चाहिए।

उच्चतम न्यायालय में जब न्यायाधीश को निष्कासित करने की प्रक्रिया शुरू होती है तो सबसे पहले लोकसभा में प्रस्ताव रखा जाता है जिसमें 100 सदस्यों अथवा राज्यसभा के 50 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पेश होता है। यदि यह प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष अथवा राज्यसभा के सभापति मंजूर कर देते हैं तो इसके बाद जांच समिति का गठन किया जाता है।

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जाँच समिति गठन के बाद इसमें तीन सदस्य शामिल होते हैं- उच्चतम न्यायालय का कोई न्यायाधीश, उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य कोई भी विधिवेत्ता का सदस्य। यह जो समिति है वह आरोप तय करती है तथा जो सम्बंधित जज होता है उसे लिखित में जवाब देने के लिए बोला जाता है।

जांच समिति न्यायाधीश के गवाहों का परीक्षण करती है कि यह आरोप सही है अथवा गलत। यदि जांच समिति न्यायाधीश को अपराधी नहीं पाती है तो वह कोई कार्रवाई नहीं करेगी। और यदि आरोपी साबित होता है तो संसद के सदन से प्रस्ताव को आगे भेजा जाता है।

प्रस्ताव पर चर्चा की जाती है एवं इस पर मतदान एवं बहुमत दिए जाते हैं। यदि सदन में दो तिहाई बहुमत मिलता है तो इसे पारित माना जाता है।

यही जो सम्पूर्ण प्रक्रिया है वह दूसरे सदन में दोहराते हैं। यदि इस सदन में भी प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो उसके पश्चात यह प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेज दिया जाता है।

सुर्पीम कोर्ट के जज को हटाने की प्रक्रिया क्या है?

सुप्रीम कोर्ट के जज को ना तो प्रधानमंत्री द्वारा हटाया जा सकता है ना तो राष्ट्रपति और ना ही विधि मंत्री द्वारा हटाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जज को केवल संसद द्वारा ही हटाया जा सकता है लेकिन यह कोई आसान बात नहीं बल्कि इसके भी कुछ नियम कानून बने हुए हैं तथा पद से हटाने का कारण भी होना आवश्यक है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण बाते हैं।

  • संसद द्वारा ही सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाया जा सकता है और यह सब केवल विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया से संभव है।
  • इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाना बहुत ही कठिन है।
  • यदि कोई न्यायाधीश अक्षमता अथवा दुर्व्यवहार करता है तो चाहे वह उच्च न्यायालय अथवा उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश हो उसे पद से हटाया जा सका है।
  • संसद के किसी भी सदन द्वारा निष्कासन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
  • निष्कासन करने से पहले संसद के दोनों सदनों में न्यायाधीश के विरुद्ध आरोप वाले प्रस्ताव का अनुमोदन होना आवश्यक है।
  • दोनों सदनों में बहुत प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजते हैं।
  • अंतिम प्रक्रिया राष्ट्रपति की होती है, राष्ट्रपति ही न्यायाधीश को पद से निष्कासित करने का आर्डर देता है।
  • राष्ट्रपति के पास न्यायाधीशों को हटाने की सम्पूर्ण शक्तियां होती है लेकिन इन शक्तियों का इस्तेमाल करने के लिए भी कुछ कानून बने हुए हैं क्योंकि जब तक संसद से विधिवत समर्थित अनुरोध प्राप्त नहीं होता तब तक राष्ट्रपति भी अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

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