बीवी के लिए इतनी मोहब्बत, गांव में बना दिया 45 एकड़ का बाथरूम

हरियाणा अपने गांवों और यहां के लोगों को लेकर अक्सर सुर्खियाँ बनाता रहता है। अब इस अनोखे राज्य का एक सबसे पुराना गांव खबरें बटोर रहा है

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Reported by Atul Kumar

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45 Acres Bathroom For Wife: आज हम आपको हरियाणा के ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहें हैं जो हरियाणा का सबसे बड़ा गांव हैं और इसका इतिहास लगभग 700 साल से भी पुराना हैं। यहां की खास चीज बाथरूम है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह बाथरूम आम बाथरूम से इतना ज्यादा बड़ा है कि आप हैरान हो जाएंगे। बता दें कि यह बाथरूम एक या दो में नहीं बल्कि 45 एकड़ का बाथरूम है और इसे उस समय एक राजा ने बनवाया था। हालांकि अब यह तालाब में तब्दील हो चुका हैं।

45 एकड़ का बाथरूम वाला गांव

हरियाणा अपने गांवों और यहां के लोगों को लेकर अक्सर सुर्खियाँ बनाता रहता है। अब इस अनोखे राज्य का एक सबसे पुराना गांव खबरें बटोर रहा है और इसकी वजह है कि यह गांव राज्य का सबसे बड़ा गांव है और इसमें एक खास स्नानघर भी मौजूद है। वैसे तो इस गांव के लेकर मान्यता है कि यह करीबन 700 वर्ष का इतिहास रखता है। यदि बात करें इस खास स्नानघर की तो यह पूरे 45 एकड़ में फैला हुआ है जिसको अपने समय में राजा ने तैयार करवाया था।

हालांकि आज के समय में यह स्नानघर एक तालाब के रूप में नजर आने लगा है। अब यह भी जान लें कि यह बड़े स्नानघर का सिसाय गांव हिसार जिले में मौजूद राज्य का सबसे बड़ा गांव है। राज्य में इस गांव की स्थिति की बात करें तो यह हिसार से 36 किमी दूरी पर और हांसी से 10 किमी दूर पड़ता है।

बीवी के लिए इतनी मोहब्बत, गांव में बना दिया 45 एकड़ का बाथरूम

गांव को लेकर रोचक हिस्ट्री

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बड़े स्नानघर के गांव की हिस्ट्री भी काफी रोचक है और यहां के गांव वासी तो इसको लेकर कई तरह की कथाएं बताते दिख जाते है। कुछ कहते है कि यहां पर साल 1945 में एक मिडिल स्कूल शुरू हुआ और साल 1990 में इसको सीनियर सेकंडरी में तब्दील किया गया। लेकिन साल 2002 में यहां पर लड़कियों के पढ़ने हेतु अलग से सीनियर सेकंडरी स्कूल की शुरुआत हुई।

हालांकि ग्रामीण लोग में अधिकांश शिक्षित ही है और गांव में शिक्षा की दर 70 फीसदी तक है। हरियाणा के गांवो की तरह ही इस गांव का खेल में विशेष दखल दिखता है और कुश्ती के प्रसिद्ध पहलवान हिंद केसरी पहलवान मास्टर चंदगी राम इस गांव में जन्मे और आगे बढ़े।

गांव में स्नानघर बनने की कहानी

स्नानघर वाले इस खास गांव में दो ग्राम पंचायतें स्थापित है जिसमे से एक का नाम सिसाय है और दूसरी का नाम सिसाय कालीरावण रखा गया है। हालांकि ये दोनों ही गांव एक साथ में ही बसे है किंतु यहां पर के गली भी है जो कि स्पष्ट कर देती है कि उस पार एक गांव है और इस तरफ दूसरा गांव।

पुराने ग्रामीणों का कथन है कि इस गांव के वासियों की जड़े राजस्थान के जैसलमेर से जुड़ी हुई है। गांव में बसे पुराने लोगों के पुरखे जैसलमेर से ही थे। आज से 700 वर्ष पूर्व की बात है तब गांव में पूना नामक राजा का राज था और उनकी रानी का नाम सीसा हुआ करता था। इसी राजा ने आज तक मौजूद इस बड़े स्नानघर को तैयार करवाया था। 45 एकड़ में बनकर तैयार हुआ यह स्नानघर अब तो एक तालाब जैसा दिखने लगा है।

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गांव की विरासत बढ़ा रही नई पीढ़ी

गांव के लोगों में हमेशा खास करने की ललक रही है और पुरुषों की तरह ही कन्याओं ने भी महिला भारत केसरी की उपाधि लेकर नाम रोशन किया है। वैसे तो दर्जनभर पहलवान नेशनल एवं इंटरनेशनल स्तर पर प्रदर्शन दिखा चुके है। यहां के लोगों का कहना है कि गांव की विरासत के लेकर सभी लोगों में सजगता रहती है और वे यहां के संस्कार को निभाते भी है। इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए गांव की नई पीढ़ी को भी आगे की दिशा देने का काम लगातार चल रहा है।

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